Sunday, 19 January 2020

जाहिर करना जरुरी है क्या ||

|| जाहिर करना जरुरी है क्या ||


दूर जाते कभी बढ़ते चलते 
कभी थकते कभी रुकते 
कभी होठो पे आये 
कभी लम्हा बनके गुजर जाये 
एक आवाज बस युहीं कहते जाये 

||||||||||||||||||||जाहिर करना जरुरी है क्या |||||||||||||||

कह के कह न पाये 
दूर जाके पास आ जाये 
कभी रोके कभी सोके 
कभी कह जाये तो कभी चुप रह जाये  
बस एक आवाज बार बार आये 

||||||||||||||||||||जाहिर करना जरुरी है क्या |||||||||||||||

डरते कहते तो कभी कहते डरते 
बस जो भी हो वो कहते रहते 
कोई रूठता तो कोई मनाता रहता 
ना जाने कौन सा एहसास 
कब किसी को छू जाता 
रोकता पकड़ता उन लम्हो को 
जिनकी वजह से सिर्फ एक ही ख्याल बार बार आता 

||||||||||||||||||||जाहिर करना जरुरी है क्या |||||||||||||||

समंदर में कूद कर 
लोगो को तैरते देखा 
हमारा तालाब ही कभी कभी 
समंदर सा लगने लगता है 
नमकीन सा एहसास देके 
जाने वाली ये हवाएं 
हिलोर कर बिखेर देने वाली ये फिजाये 
भी अब यही पूछा करती। ... 

||||||||||||||||||||जाहिर करना जरुरी है क्या |||||||||||||||





1 comment:

Unknown said...

Yes suddu, Now it's compulsory to reveal.