खामोश से क्यों यूँ बैठो हो
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क्या आवाज नहीं आती मेरी गहनों की
अब और नहीं सहा जाता बाबा
बस सांसे अटकी है तेरे कहने की |
नाम तेरा है जो अब सहारा है
वरना कहा जीना ग़वारा हैं
थकता सा रुकता सा जा रहा
तेरे सहारे बस बहता सा जा रहा |
कभी गहनों को मैं पहनता हु
तो कभी गहने मुझे पहनते है
सोऽहं की आवाज करते हुए
बस आके तुझेपे रुकते है |
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