Tuesday, 19 August 2025

मैं और मेरा शिव

                                                

 खामोश से क्यों यूँ  बैठो हो 


क्या आवाज नहीं आती मेरी गहनों की 

अब और नहीं सहा जाता बाबा 

बस सांसे अटकी है तेरे कहने की |

नाम तेरा है जो अब सहारा है 

वरना कहा जीना ग़वारा हैं 

थकता सा रुकता सा जा  रहा 

तेरे सहारे बस बहता सा जा रहा | 

कभी गहनों को मैं पहनता हु 

तो कभी गहने मुझे पहनते है 

सोऽहं की आवाज करते हुए 

बस आके तुझेपे  रुकते है | 

No comments: