अब आके क्यूं सोचते इतना
दूर थे तो चाहा बहुत
अब पास आके रोकते इतना
बात वो नहीं शायद जो हमे लगता
शायद ये भी नही जो तुम्हे लगता
बात की बातों का क्या फायदा
चलो छोड़ो, ये बताओ
अब आके क्यूं सोचते इतना ।।
बात बात पे रूठने मनाने वाले
हाथ पकड़ के राह दिखाने वाले
मद्धम सी गीत सुनाने वाले
मीठा सा एहसास जगाने वाले
शायद अब बात वो नही
जो चाहा हमने तुमने
चलो खैर
अब कुछ तो सीखा हमने ।।।
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