मैखाने की छत आई
या मां की गोंद सुलाई
जाहिर है दोनो में से कोई तो आई
बड़े मुद्दतो के बाद नींद आई ।।।।।
राह में मेरे वो फिर से शय आई
कभी पीछा करती आई
तो कभी पीछे से बुलाई
ना मुड़ने की चाह आई
एक बार नही बार बार आई
अपनी याद की बहार लाई
दिन आई रात आई
लेकिन फिर से वो बात नही आई
ना मुड़ने की चाह आई
बड़े मुद्दतो के बाद नींद आई ।।।।।।।
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